इन यात्राओं के माध्यम से
मैं चली आ रही हूं
तुम्हारी ओर को...
यात्रा के हर पड़ाव पर
पाती हूँ कुछ तुम्हें और
बचे हुए को पाने की आस लिए
बढ़ती जाती हूं...
-शालिनी पाण्डेय
राहुल सांकृत्यायन मानते थे कि घुमक्कड़ी मानव-मन की मुक्ति का साधन होने के साथ-साथ अपने क्षितिज विस्तार का भी साधन है। उन्होंने कहा भी था कि-...
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