चरवाहें मेरी नज़रों में एक क़िस्म के खोजी व्यक्ति है। वो खोजते है मार्ग, खाना, पानी अपने मवेशियों के लिए। वे हर दिन एक नयी उम्मीद के साथ निकलते है और नये अनुभवों को समेटे शाम को लौट आते है वे प्रत्येक मार्ग पर स्वच्छंद होकर यात्रा करते है स्वीकारते है परिस्थितियों को और वर्तमान में जीते है। वे सभी अच्छे बुरे घटित हो रहे की ज़िम्मेदारी लेते है और नहीं रखते अपेक्षा औरों से अपने लिए। मैं भी जीना चाहती हूँ चरवाहों जैसा स्वच्छंद जीवन बिना किसी की अपेक्षाओं का बोझ उठाए । -शालिनी
कई बार ऐसा होता है कि हम अपने रोजमर्रा के कार्यों में इतने व्यस्त हो जाते हैं कि हम अपनी हॉबीज की तरफ ध्यान देना लगभग भूल सा जाते हैं ऐसा ही कुछ मेरे साथ भी हुआ लेकिन नव वर्ष पर मुझे पुनः प्रेरणा प्राप्त हुई की जिस कारण मैंने सोचा कि आज मैं आदि कैलाश और ओम पर्वत का जो ट्रैक मैंने 2023 के सितंबर महीने में 11- 13 तारीख़ को किया था उसके विषय में लिखने का प्रयास करूँ। स्थानीय मान्यताओं के अनुसार, उत्तराखंड के प्रत्येक स्थान पर अनेकों देवी देवताओं का वास है। अगर बात करें कुमाऊं क्षेत्र की तो यहां पर भी अनेक प्रकार के देवी देवता विराजमान है। कैलाश पर्वत को भगवान शिव का निवास स्थान माना जाता है। उत्तराखंड के सीमांत जनपद पिथौरागढ़ धारचूला से लगभग 90 किलोमीटर की दूरी पर स्थित व्यास घाटी तथा चौंदास घाटी अपने आप में एक रमणीय स्थान है। यह स्थान इतने खूबसूरत हैं कि इन्हें देखने पर ऐसा प्रतीत होता है कि पुराणों तथा हिंदू ग्रंथो में वर्णित स्वर्ग की संज्ञा इन्हें देना अनुचित होगा। ओम पर्वत/आदि कैलाश ट्रैक की शुरुआत धारचूला से होती है। धारचूला 940 मीटर की ऊँचाई पर स्थित एक हिमालयी क़स्बा है जिसके