तुम ख़्वाब हो,
और हकीकत भी ।
तुम ही खुशी हो,
और गम भी ।
मुस्कुराहट भी तुमसे है,
और आँसू भी ।
प्यार भी तुमसे है,
और शिकायतें भी।
बातें भी तुम्हारी है ,
और खामोशी भी।
यथार्थ भी तुम्हारा है,
और सपनें भी ।
तुम अब सिर्फ तुम नही रहे,
"मैं" बन गये हो।
जिससे मैं बिन फेरों,
बिन वादों ही जुड़ चली हूँ।
-- शालिनी पाण्डेय
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