जवान होने के सफर में लड़कियां स्वीकार कर लेती है निर्धारित की गई अपनी नियति, वो सीख लेती है अपने सपनों को उधेड़ किसी और के दरवाजे के लिए क्रोशिया सीना; और निकल पड़ती हैं कभी ना खत्म होने वाली आदर्श स्त्री बन पाने की दौड़ में... - शालिनी पाण्डेय
शब्द मेरी भावनाओं के चोले में