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Showing posts from November, 2020

जवान होने के सफर में

जवान होने के सफर में लड़कियां स्वीकार कर लेती है निर्धारित की गई अपनी नियति, वो सीख लेती है  अपने सपनों को उधेड़  किसी और के दरवाजे के लिए  क्रोशिया सीना; और निकल पड़ती हैं कभी ना खत्म होने वाली आदर्श स्त्री बन पाने की दौड़ में... - शालिनी पाण्डेय 

विस्थापित

घर की वस्तुओं को  बदला जा सकता हैं ,  चीज़ों को विस्थापित  किया जा सकता हैं, लेकिन, नहीं बदला जा सकता है  तुम्हारे लिए मेरे प्रेम को; ना ही विस्थापित  किया जा सकता है तुम्हें किसी और प्रेमी से। - शालिनी पाण्डेय

साधना

तुम्हारी प्रेमिका हो जाने में न केवल जुड़ी हुई हैं संवेदनाएं और भावनाएं; बल्कि, इस प्रेम के साथ जुड़ी हुई है, साधना परम सत्य को खोजने की... - शालिनी पाण्डेय 

तुम्हारी यादें

तुम्हारी यादें  मेरे घर की  सभी चीजों को घेरे हुए है, चाहे वो चाय की प्याली हो या मेज पर पड़ी किताब मेरे घर की बालकॉनी,  रोशनदान, छत, दीवार, खिड़की, दरवाज़े सब तुम्हारी यादों से पटे हुए है काश! इन यादों जैसे तुम भी होते मौजूद  इस घर के किसी हिस्से में... - शालिनी पाण्डेय

माँ

यूँ तो अब मुझे आदत सी हो चली है अकेलेपन और  नीरस दिनचर्या की, शहर की इस  नीरस दिनचर्या में उलझे हुए वक़्त आसानी से गुज़र जाता है लेकिन,  जब कभी हो  कोई खास दिन  जैसे कोई त्योहार या जन्मदिन तब, तुम मुझे  बहुत याद आती हो माँ। - शालिनी पाण्डेय 

मिलना

जीवन की  उबड़-खाबड़ राह के  एक मोड़ पर  किसी रोज तुम मिले  मिलना यूँ तो एक  क्रिया है  पर तुम्हारा मिलना  एक एहसास है  वो एहसास जो  बाधें रखता है  प्राणों को शरीर से  ठीक वैसे ही जैसे  डोरें बाधें रहती हैं  नाव को छोर से  खाली वक़्त में  - शालिनी पाण्डेय 

चरवाहे

एक रोज  मैं चली आऊँगी तुम्हारे पास, ठीक वैसे ही  जैसे  लौट आते है चरवाहे  शिशिर के बाद अपने-अपने घरों को... -शालिनी पाण्डेय

तुम्हारे लिए

बनाई जा चुकी है  सुंदर तस्वीरें लिखे जा चुके है  सुंदर गीत, लेकिन फिर भी मैं रचना चाहूँगी  कुछ कविताएं,  खींचना चाहूँगी कुछ तस्वीरें सिर्फ तुम्हारे लिए... - शालिनी पाण्डेय

नए प्रतिमान

प्रेम के नए प्रतिमान गढ़ने  की मुझे कोई इच्छा नहीं, मैं नहीं बनना चाहती एक आदर्श प्रेमिका और ना ही चाहती हूँ  निष्कलंक जीवन, मैं बस  जी लेना चाहती हूं दुःख और आनंद के उन लम्हों को  जो हर मुलाक़ात के साथ तुम छोड़ जाते हो.. -शालिनी पाण्डेय