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Showing posts from April, 2018

रात का सन्नाटा

वो सच्चा अटपटा सा ज़िद्दी स्वभाव वाला कुछ ऐब रखने वाला मानुष जिसकी चुप्पी में मुझे महसूस होती है गहराई ना जाने क्यूं मन को भा गया छलावे की संसार से दूर विचारों की दुनिया में...

वो यही कही है पास में

सूरज की गुनगुनी धूप में पहाड़ों पे ढ़लती सांझ में सूखे पत्तों की सरसराहट में आंगन में बहती बयार में वो यही कही है पास में सुबह अध खुली आँखों में दिनभर की भागा दौड़ी में शाम की स...

बवंडर

राहें मोहब्बत की वो संकरी गली जो भरी थी भावों के सैलाब से इस सैलाब में धीरे से मैंने कस्ती उतारी सोचा उसे साथ लेकर बाहर निकल आऊंगी पर मुझे कहा खबर थी कस्ती को बहाने वाले उस ब...

यादों की सलवटें

हर रात में अपने दिल की चादर बिछाती हूं जिसपे तू सुबह यादों की सलवटें छोड़ जाता है। शायद मेरी आँख लगने के बाद चुपके से तू आया होगा पास आकर बैठा देर तक मुझे निहारता रहा होगा शाय...

मैं शायर

सुबह हुई और हमनें तुम्हें याद किया सिर झुका तो इबादत के लिए पर तुम्हें सलाम किया                         -शालिनी पाण्डेय

मेरे करीबी

तेरी आवाज के लिए घंटों इंतजार करना उठते ही तेरी खैरियत की दुआ करना तेरी खुशियों पर खुश हो जाना तेरे गमों से दुखी हो जाना तेरी सफलता पर जश्न मनाना तेरी असफलता में साथ निभान...

इश्क़

ना जानें क्यूं इश्क़ हमें देर से हुआ लेकिन जब हुआ तो बेहिसाब हुआ और तुम्ही से ना जाने क्यों हुआ तुम्हारी इश्क़ करने की उम्र ना रही तो क्या करे अब उम्र पर तो कम्बख्त हमारा जोर ना...

छुट्टी का दिन

छुट्टी का दिन भी बेहतरीन होता है तू फुर्सत में बेहद करीब होता है तेरी बातें, मुलाकातें बहुत याद आती है प्यार भरी इन यादों से तन्हाई और गहराती है यूं ही बैठे बैठे ख्यालों की ...