Wednesday 29 August 2018

निःशब्द

जब मैं तुम्हें सोचते सोचते
हो जाती हूँ निःशब्द,
मुझे जाने क्यूं लगता है
बिन लफ़्ज़ों के भी
कह आयी हूं तुमसे
सारी दास्तां।

अब तुम ही बताओ
क्या तुमने सुनी!

-शालिनी पाण्डेय

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