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Showing posts from March, 2020

ऊब

एक दिन उसने झील किनारे खड़े बूढ़े पेड़ से पूछा- हर मौसम में एक ही जगह  खड़े खड़े  तुम ऊब नहीं जाते? पेड़ ठहाका मार कर हँसा और बोला- ऊबते इंसान है कभी रिश्तों से, कभी जगहों से, कभी काम से, कभी जीवन से, मैं तो एक पेड़ हूं मेरे पास  ऊबने का समय ही कहाँ है!! मैं तो निरन्तर  तुम्हारे लिए छावं, भोजन, लकड़ी  और साँसें जुटाने में लगा हुआ हूँ। - शालिनी पाण्डेय 

आपदा

आपदा का सन्नाटा  गुज़रने के बाद कुछ लोग अपनी जान गवां चुके होते है, कुछ अपने करीबियों को खो चुके होते है, और  कुछ शेष रह जाते है अगली आपदा के साक्षी बनने के लिए... - शालिनी पाण्डेय 

स्वतः

सर्दी की धूप, चाय की प्याली, पतझड़ के पत्ते, तारों वाली रात, टपकती बरसात और तुम्हें देखने पर कविताएं स्वतः फूट पड़ती है स्याहियों से। - शालिनी पाण्डेय

सांझ

सांझ जैसे जोड़ती है उजाले को अंधेरे से वैसे ही आस  जोड़े हुए है एक जीवन को दूसरे से.... - शालिनी पाण्डेय

तुम्हारे बगैर

यूँ तो लफ़्ज़ों में बया करना मुश्किल है, लेकिन अगर दुनिया ख़त्म हो रही हो तो  मैं  तुमसे बस इतना कहना चाहूंगी कि  तुम्हारे बगैर सभी कविताएं सभी गीत व्यर्थ है। - शालिनी पाण्डेय

पहाड़ से दूर

पहाड़ से दूर, रेत के टीले पर, अपने बिस्तर में सर रखते ही, मैं पहाड़ को साफ देख पाती  हूँ.. . .  मैं देखती हूँ अपने पुरखों के खपड़ैल वाले घर को, जिसकी छत इस बरसात गिर गई,  गोठ में बँँधी भूरी गाय को, जिसके बछड़े को बाघ ले गया , पिनालू के पत्तों पर जमा ओस में देखती हूँ बिंब पिताजी के बचपन का, जिसमें वो आँगन के तीर में नीचे गिरे अखरोट अपनी जेब में भर रहे है....  नौले से पानी लाने वाले  कच्चे रास्ते के  छोर पर उगे  सिननें की पत्तियों के बीच की खाली जगह से देखती हूँ अपनी आमा को उनकी बूटे वाली पीली साड़ी में। और मैं देख पाती हूँ भाभर से पहाड़ जाने वाले रास्ते और अपने बीच के फासलों को जिन्हें मैं इस जीवन पाट नहीं पाई और ना ही जा सकी लौटकर परिवार के पास । - शालिनी पाण्डेय

बैठकी होली

सर्द मौसम में गुनगुनाहट भरती होल्यारों की बैठकी जो हारमोनियम, तबले पर  लय साधते गाती है  पीड़ी दर पीढ़ी आत्मसात किये  होली के गीत.... ये संजोए हुए है वर्षों से पुरानी परंपरा को, जिसकी नींव डाली रामपुर के उस्ताद अमानुल्लाह  और आगे बढ़ाया गणिका रामप्यारी ने... आगमन पर बसंत के होल्यार गाते राधा कृष्ण की होली, शिवरात्रि के बाद गायी जाती शंभु की होली, और आखिरी दिनों में  गायी जाती  रंगों की होली... होली के ये गीत  गूँथे रहते है  अवधी, बृज, मगधी,  भोजपुरी के शब्द स्थानीय लोगों की  संस्कृति के साथ... सूर, मीरा, कबीर से लेकर भक्ति, प्रेम  और प्रकृति का  वर्णन करते हुए,  राग धमार से शुरू और  राग भैरवी पर  समापन होती है  कुमाऊं की बैठकी होली । - शालिनी पाण्डेय 

I became yours

It was a noon  In the March When things Started to  Grew stronger Sailing on a boat on the waves First time I imagined  Sailing my  Life boat  Together with you  On touching upon By cold breeze When I tightly holded  yours hand  I felt the Warmth of you  Some kind of  Energies  Tied my heart  With yours  At that very moments My soul Became yours.. - Shalini Pandey

O Woman

O woman!! From your birth You have been kind, You works hard, You love unconditionally, You make sacrifices,  But ..... When you grow Acquire life skills, Get good education, Learn to be brave, Overcome your fears, Chase your dreams and Allow yourself to blossom, not to compete a man but to be a WOMAN. HAPPY WOMEN'S  DAY 2020 -Shalini Pandey