Wednesday 28 October 2020

छप्पर

पहाड़ की यादों को समेटकर
मैंने बना लिया है छप्पर,
खरीद ली है कुछ भेड़े
जिन्हें चराते हुए,
फाग गाते हुए,
बुग्यालों और गधेरों को पार कर
मैं रोज़ थोड़ा -थोड़ा 
चली आती हूं 
तुम्हारी ओर को 
सांझ अपने घर में बिताने....

- शालिनी पाण्डेय 

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