क्या तुम मुझे याद करोगे?
जब सांझ में दूर पहाड़ी से
टकराकर आती आवाज़ेंं
तुम्हें सुनाया करेगी
तन्हाइयों भरा राग....
क्या तुम मुझे याद करोगे?
जब बारिश की झमाझम
पत्तों, टहनियों से गिरते हुए
तुम्हारे किवाड़ के सामने
गुनगुनायेगी सावन का गीत ...
क्या तुम मुझे याद करोगे?
जब मैं समा जाऊंगी
काले स्याह आकाश में,
फिर से किसी पहाड़ पर
फ्योंली बनकर फूटने के लिए...
-शालिनी पाण्डेय
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