तुमने कभी नहीं बताया
कि तुम्हें मैं
किन कपड़ों में
ज्यादा अच्छी लगती हूँ
तुमने कभी नहीं कहा
कि मुझे कुछ करने से पहले
तुमसे इजाजत लेनी चाहिए
तुमने ना तो कभी
कोई वादा किया
ना ही कसमें खाई
साथ में जीने-मरने की
तुमने बहुत नज़रे चुराई
ताकि मैं ना पढ़ सकूँ
तुम्हारी आँखों पर चमक
उठने वाले प्रेम को
और ना ही
तुमने कभी भी चाहा
कि मैं महसूस करूं
तुम्हारे भीतर के दुःखों को
तुमने बहुत जतन किये
कि मैं ना पहुँच पाऊं
तुम्हें अंतर्मन तक
लेकिन देखो ना
तुम्हारे कुछ ना कहने
और ना करने से भी
तुम्हारे लिए मेरे प्रेम में
कोई फर्क नहीं पड़ा,
मैं थी कल भी तुम्हारी प्रेमिका
हूँ आज भी और
रहूंगी हमेशा ही।
- शालिनी पाण्डेय
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