Sunday 10 May 2020

नदी और नाव

तुम्हारा और मेरा प्रेम है
नदी और नाव का संयोग..

तुम विशाल, 
अविरत बहने वाली
नदी हो 
और मैं लकड़ी से बनी
तुम्हारे ऊपर ठहरी हुई
नाव हूं

मेरे बिना भी
तुम हो और रहोगे...
लेकिन तुम्हारे बगैर
मेरा हो पाना तो संभव नहीं...

- शालिनी पाण्डेय

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