नदी और नाव का संयोग..
तुम विशाल,
अविरत बहने वाली
नदी हो
और मैं लकड़ी से बनी
तुम्हारे ऊपर ठहरी हुई
नाव हूं
मेरे बिना भी
तुम हो और रहोगे...
लेकिन तुम्हारे बगैर
मेरा हो पाना तो संभव नहीं...
- शालिनी पाण्डेय
राहुल सांकृत्यायन मानते थे कि घुमक्कड़ी मानव-मन की मुक्ति का साधन होने के साथ-साथ अपने क्षितिज विस्तार का भी साधन है। उन्होंने कहा भी था कि-...
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