खिड़कियों को लाँघ कर
किवाड़ों को फांद करझरोखे की जालियों से
भीतर चली आती है उदासियां
उन्हें कोई बुलावा नहीं देता
इसलिए, बेवक़्त
आ जाया करती है उदासियां।
- शालिनी पाण्डेय
राहुल सांकृत्यायन मानते थे कि घुमक्कड़ी मानव-मन की मुक्ति का साधन होने के साथ-साथ अपने क्षितिज विस्तार का भी साधन है। उन्होंने कहा भी था कि-...
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