Skip to main content

Posts

Showing posts from July, 2021

आज शाम

मैंने आज शाम के रंगों को घुलते देखा घुलते हुए रंगों को बदलते हुए देखा उल्लास को अवसाद होते देखा अपने ख्वाबों को मरते हुए देखा... - शालिनी पाण्डेय 

अब

छोटी- छोटी खुशियां छोटे - छोटे तोहफे छोटी - छोटी तकरार छोटी - छोटी मुलाकातें थोड़ा - थोड़ा इंतजार थोड़े-थोड़े हम और तुम अब नहीं रह गए हैं.. अब हमारे बीच बची रह गयी हैं  केवल बड़ी-बड़ी आदर्शवादी बातें... - शालिनी पाण्डेय

गुजरते रास्ते

एक गहरी खामोशी मौजूद रहती है जंगल में दूर तक फैली चीड़ की कतारों के बीच  खामोशी जिसमें कई बार डूबते- तैरते हुए सी मैं पहुँच आती हूं अपने भीतर फैली प्रश्नों की खाई में तब मुझे ननजर आ जाती है अपनी सूक्ष्मता भीतर का खोखलापन और स्वार्थपरकता चट्टानों और पत्थरों से घिरे इन कतारों से गुजरते हुए मैं महसूस करती हूं सृष्टि की विशालता इसकी सृजनात्मकता, करुणा और प्रेम को मैं रख देती हूं इसके सामने निचोड़ कर अपनी न्यूनता को और सोख लेना चाहती हूं इस सृजनात्मकता और प्रेम का कुछ अंश अपने भीतर। - शालिनी पाण्डेय 

एकांत

समाजशास्त्र का आधारभूत सिद्धान्त कहता है - "मनुष्य एक सामाजिक प्राणी है"। इसलिए प्रत्येक मनुष्य लोगों के एक समूह से हमेशा ही घिरा रहता है। वह साथ ढूंढता है, छोटे समय काल और जीवन भर के लिए । साथ की उपस्थिति वह सुरक्षित अनुभव करता है।  किन्तु मुझे लगता है सामाजिक प्राणी होने के साथ-साथ मानव एकांत प्रिय प्राणी भी है। कई बार ऐसा होता है, लोगों के समूह से घिरे रहते हुए आपके व्यवहार या सोच में कुछ बाहर से चीजें आ जाती है, जो आपकी अपनी वास्तविक स्वाभाविक नहीं होती। एकांत ही वो समय है जब हम अपने भीतर से संवाद करते  है और खुद को बाहरी आवरण से पृथक कर पाते है। साथ ही एकांत हमें मौका देता है अपने भावों को डूबकर महसूस करने का । चाहे वह भाव कोई भी हो- प्रेम, दुःख, ईर्ष्या, क्रोध, आदि। जब हम भाव को पूरी तन्मयता के साथ महसूस करते है तो हम उसके साथ साम्य स्थापित कर पाते है।  इसलिए जब कभी भी लगे कि वास्तविक आप कहीं खो रहे है या भावों से सामंजस्य नहीं बैठा पा रहे तो एकांत को चुनिए। एकांत में कई खूबियां है, एकांत के ताप में जलकर ही आप शांत चित्त पा सकेंगे।  - शालिनी पाण्डेय  ...

व्यक्ति की सफलता

जीवन के किसी भी आयाम में व्यक्ति को सफलता नहीं मिलती केवल उसके अकेले के प्रयासों से वो मिलती है उन सभी लोगों के  प्रत्यक्ष या परोक्ष प्रयासों से भी जिन्हें वो कई बार  जीवन की दौड़ में भूल सा जाता है। -शालिनी पाण्डेय 

काफिला

नहीं पता  जिंदगी का काफिला  कितनी दूरी तय करेगा,  नहीं मालूम  ये किस मुकाम पर रुकेगा......  ना जाने क्या-क्या  मंजर आएंगे राहों में, ना जाने कितने अतीत  फिर लौट आएंगे जीवन में.....  पर ये निश्चित है  लोग बिछड़ते-जुड़ते जाएंगे वैसे ही जैसे बिछड़ते है हर मुलाक़ात के बाद तुम और हम... - शालिनी पाण्डेय 

तुम्हारे बारे में

तुम्हारे बारे में जितना भी जिक्र करूँ कम है... तुम्हारी याद में जितनी भी कविताएं लिखूं कम है... तुम्हारे साथ में जितनी भी यात्राएं करूँ  कम है... तुम्हारे विछोह में जितनी भी आहें भरूँ कम है..... -शालिनी पाण्डेय 

लंबी यात्रा

मैंने पूछा कैसी चल रही तैयारी? उसने कहा - लंबी यात्रा है। मैंने कहा- ये जीवन एक यात्रा ही तो है, तुम क्या हम सभी इस यात्रा के यात्री है। - शालिनी पाण्डेय

जब मैं लौट आयी हूं

अब जब मैं लौट आयी हूं पहाड़ पर, तो सारे नजारों को मैं अपने भीतर समेट लेना चाहती हूं। भीड़ से अलग पहाड़ के जीवन में एक अलग सुकून है, बीते वक़्त की ग्लानि, भविष्य की चिंताओं से परे, हर लम्हें को बस जीते जाने का मन करता है। यहां के पेड़, पहाड़, रास्तों की तरह हर अजनबी की आंख में भी  थोड़ा अपनापन है शाम की ठंडी बयार जैसे  यहाँ जीवन धीमा सा संगीत लिए  बह रहा है....   -शालिनी पाण्डेय