जितना भी जिक्र करूँ
कम है...
तुम्हारी याद में
जितनी भी कविताएं लिखूं
कम है...
तुम्हारे साथ में
जितनी भी यात्राएं करूँ
कम है...
तुम्हारे विछोह में
जितनी भी आहें भरूँ
कम है.....
-शालिनी पाण्डेय
राहुल सांकृत्यायन मानते थे कि घुमक्कड़ी मानव-मन की मुक्ति का साधन होने के साथ-साथ अपने क्षितिज विस्तार का भी साधन है। उन्होंने कहा भी था कि-...
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