Friday 21 September 2018

फूल और पात

कभी खिल जाती हूँ फूल सी
कभी झड़ जाती हूँ पात सी
मैं रोज अधूरी ही रह जाती हूं
अनकही किसी बात सी।

-शालिनी पाण्डेय

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