पहली बार
मैंने उसकी आँखों
को पढ़ा
उसकी आँखें
बया कर रही थी
वो सब
जो वो जुबान तक
ना ला पाया था
देखा मैंने
स्नेह के उमड़ रहे
सैलाब को
जिसमें वो तैरना
सीख चुका था
और
मैंने महसूस किया
उसके भीतर की
उष्णता को
जो उसे बाहर से
ठंडा बनाये हुए थी।
-- शालिनी पाण्डेय
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