Friday 22 February 2019

इमारत


सोचती हूँ
तुम्हारे लिए
एक
इमारत बनाऊ

कंकड़
पत्थर
संगमरमर से नहीं

वरन
शब्दों,
कलम
और कविताओं से

जहाँ तुम
दुनिया से थक
जाने पर
आराम कर सकोगें।

- शालिनी पाण्डेय

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