सोचती हूँ
तुम्हारे लिए
एक
इमारत बनाऊ
कंकड़
पत्थर
संगमरमर से नहीं
वरन
शब्दों,
कलम
और कविताओं से
जहाँ तुम
दुनिया से थक
जाने पर
आराम कर सकोगें।
- शालिनी पाण्डेय
राहुल सांकृत्यायन मानते थे कि घुमक्कड़ी मानव-मन की मुक्ति का साधन होने के साथ-साथ अपने क्षितिज विस्तार का भी साधन है। उन्होंने कहा भी था कि-...
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