प्यार यूं तो है एक नन्हा सा अल्फ़ाज़,
लेकिन है इसमें जीवन के सारे साज़,
ना हैं ये किसी इंसान या वस्तु के लिए पागलपन का नाम,
ना ही कुछ देने या लेने वाले किसी रिश्ते का नाम।
ये तपती रूह पे गिरने वाली एक पानी के बूंद जैसा है,
जिसे ना छुआ जा सकता है, ना देखा जा सकता है,
जिसे ना दिया जा सकता है, ना लिया जा सकता है,
ना इकठ्ठा किया जा सकता है, ना बांटा जा सकता है,
ये है एक ऐसे ही किसी स्पर्श का नाम,
एक ऐसा एहसास,
जो भीड़ में भी चुपचाप तुम्हे छूकर निकल गया,
एक ऐसा एहसास ,
जो पहुँचाता तुम्हे संगीत की उन गहराइयों में
जो पहले कभी थी ही नहीं,
दिखाता तुम्हारे चश्में से वो
जो तुम पास होकर भी देख ना सके,
बताता पलके बंद करके ही वो
जिसे खुली आँखों से देखने की कर रहे थे कोशिश,
हो सकते है इसे अनुभव करने के माध्यम अलग
लेकिन इसका अनुभव एक सा है - अद्भुद
और शायद यही वो एहसास है जो
शब्दों को कलम से बाँधने की कला से तुम्हे नवाजता है,
वरना भला प्यार को कोई बाँध पाया है।
- शालिनी पाण्डेय
Comments
Post a Comment