आज फिर तेरी याद आई,
दर्द के सैलाब से आंखें भर लाई।
हर बदलती करवट के साथ
तेरी थपकी याद आईं।
हर एक छूटती सांस के साथ
तन्हाई और गहराई।
फिर याद आया मुझे ममता का वो आँचल।
जी किया कि
थाम ले तू इन भारी सांसों को
फेर दे अपना हाथ इन लटाओं पर
चूम ले प्यार से मेरा माथा।
काश! मिल जाए मुझे तेरे स्पर्श का अनुभव
मिलेगी शायद तब इस तपते मन को राहत
आ लगा जा इन जलते जख़्मों पर
अपनी करुणा का मरहम
आ प्यार से भर ले मुझे अपने आगोश में
मुझे डर है
इस दर्द मैं कही बिखर ना जाऊं
अपने मनोबल से टूट ना जाऊं
कहीं जीने से भटक ना जाऊं
ए मेरे खुदा बस यही दरख़्वास्त है
एक बार, भले ही सपनों में आ और
इस तपती रूह पर ममता का जल बरसा जा।
- शालिनी पाण्डेय
Very good initiation Pandey ji
ReplyDeleteभाव बेहद भावुक हे
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