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Showing posts from April, 2019

जीवन यात्रा

आज जब मैं सफर पे निकली मैंने ध्यान से देखा हर मुसाफिर के सामान की गठरी को जो अलग-अलग रंग रूप और आकार की थी मुझे तब महसूस हुआ कि इस सामान की अलग-अलग गठरियों जैसे ही है सबके अपने-...

तुम कितना कम कहते हो

मुझे देखो, मैं कितना ज़्यादा बोलती हूं और तुम हो कि इतना थोड़ा कहते हो कभी कभी तो इतना कम तुम कह पाते हो कि यूँ लगता है कि एक अरसा बीत गया है तुम्हें कुछ कहे हुए तुम बहुत सोच के कहत...

हॉस्पिटल की दीवारें

हॉस्पिटल की दीवारें आदी हो जाती है मरीजों के आह भरने की, चीखें सुनकर भी इनकी आँख नहीं भर आती, इनके लिए मरीज और उनका दर्द रोज की बात है, ये बस देखती रहती है हर गुज़रने वाले मरीज क...

अधूरापन

अधूरे से ये रिश्ते जिनमें ढूढ़ता है व्यक्ति पूरापन क्या गंतव्य तक पहुचेंगे या तोड़ देंगे दम इस अधूरेपन में ही। - शालिनी पाण्डेय

हवा का झोंका

हवा का एक झोंका डाली से जो टकराया तो जमीन पे गिरे सूखे हुए पत्ते पेड़ से ऐसे ही यादों का झोंका जब टकराता है मुझसे तो गिरती है भारी हो चुकी सांसें मेरे चित्त से। -शालिनी पाण्डे...

तुम आओगे

तुम आओगे किसी रोज सच में वैसे ही जैसे ख्वाबों में आते हो। कुछ रोज मैं सिर्फ तुम्हारे साथ में जीना चाहती हूं और बाँटना चाहती हूं मेरे कुछ हिस्से को तुम से उसी रोज - शालिनी पा...

तुम

लबों तक ना लायी जा सके वो बात हो तुम जीने की लिए बेहद जरूरी साज़ हो तुम अकेले में घेर लेने वाली बैचैनी हो तुम करीबी से पनपता हुआ गहरा दर्द हो तुम अब तक का सबसे हसीन अहसास हो तुम ...

घिर आये मेघा

आज देखो कई दिनों बाद घिर आये है मेघा घुमड़ रहे है गरज रहे है बरस रहे है मेघा इन्हीं मेघों के जैसे घुमड़ता है मेरा प्यार तुम घर से निकलो तो ये भी जरा बरस ले। -शालिनी पाण्डेय

रात का ढक्कन

जब रात का ढक्कन खुला तेरी यादें भाप सी उठकर मिल गई कमरे की हवा से और साँसों के साथ सारा दिन टहलती रही मेरे बाहर-भीतर । - शालिनी पाण्डेय

I am a woman

Yes I am a woman But I don't want chains Neither in my hands in my neck In my feet In the name of custom Let me remain in my Original form Without wrapping me In golden or silver gift wraps... I am more beautiful In my genuine version Once you will open up Your eyes and heart - Shalini Panday 

मैंने कहा था

देखा मैंने कहा था कि तुम नहीं आओगे। सही कहा था ना? अब जब तुम कहीं गए ही नहीं  तो आते कैसे? - शालिनी पाण्डेय

तुम्हारे साथ

तुम्हारे साथ गुज़ारे गए खामोशी के चंद लम्हें ना जाने क्यूं दुनिया जहान की आवाज में बिताये सैकड़ों लम्हों से कई गुना खूबसूरत और समझ देने वाले है। - शालिनी पाण्डेय

एक रिश्ता

एक रिश्ता लंबे संवाद का गहरे अहसास का द्वंदों को उजागर करने का विचारों पर बहस करने का एक रिश्ता ग़ज़लों को सुनने का साहित्य को समझने का गीतों को गुनगुनाने का सांझ में याद आन...