Friday 6 December 2019

पहाड़ बुलाता है

पहाड़ बुलाता है,
हर गुजरते हुए,
आदमी को,
फैलाता है,
अपनी गोद,
बिछा देता है,
अपना आंचल...

देखो,
पहाड़ पालता है,
अपने गर्भ में,
ऊंचे देवदार को,
उफनते नदी-नालों को, 
और
अपनी ओट में 
उगा लेता है काई..

तो, क्या?
हम और तुम,
नहीं पल पाते,
इसके आंचल तले???

- शालिनी पाण्डेय 

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