कभी कभी
जिंदगी उलझ जाती है
बालों की तरह
और मैं
मेरे उलझे बालों की तरह
इसे भी रहने देती हूं अनसुलझी ।
अब जब इसे
उलझने का इतना ही शौक है तो
क्यूं खामखा इसे सुलझाना??
- शालिनी
राहुल सांकृत्यायन मानते थे कि घुमक्कड़ी मानव-मन की मुक्ति का साधन होने के साथ-साथ अपने क्षितिज विस्तार का भी साधन है। उन्होंने कहा भी था कि-...
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