पहाड़ी के उस ओर,
जिस तरफ तुम रहते हो,
जहाँ सूरज छिपता है...
मैं, इस ओर से
रोज देखती हूँ...
इसे, तुम्हारी ओर आते हुए,
पर, कभी आ ना सकी,
इसके साथ,
तुम्हारी ओर को।
-- शालिनी
राहुल सांकृत्यायन मानते थे कि घुमक्कड़ी मानव-मन की मुक्ति का साधन होने के साथ-साथ अपने क्षितिज विस्तार का भी साधन है। उन्होंने कहा भी था कि-...
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