Saturday 21 December 2019

तुम्हारी ओर

सर्दी की हर शाम,

पहाड़ी के उस ओर,
जिस तरफ तुम रहते हो,
जहाँ सूरज छिपता है...
मैं, इस ओर से
रोज देखती हूँ...
इसे, तुम्हारी ओर आते हुए,

पर, कभी आ ना सकी,
इसके साथ,
तुम्हारी ओर को।

-- शालिनी

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