मुझे,
उसका हाथ थामकर ,
पहाड़ की चोटी
पर चढ़ना अच्छा लगता है,
जंगल की गोद से गुजरते हुए
संकरे रास्तों पर
उलझना अच्छा लगता है,
गिरने पर ,
उसकी हथेली पकड़ कर
सम्भलना अच्छा लगता है,
किसी पत्थर पर बैठ
गुनगुनी धूप सेंकते हुए
सुस्ताना अच्छा लगता है,
देर तक यूं ही
बेवजह उसकी तरफ
देखे रहना अच्छा लगता है,
उसका नाम पुकारने पर,
पहाड़ से गूंज कर,
लौटने वाली आवाज़ को
सुनते रहना, अच्छा लगता है.
- शालिनी
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