आधुनिक तकनीकियों से परिपूर्ण
कंक्रीट के बनाये इस जंगल में
झुलसते-झुलसते
मन उलझता जाता है,
भीतर का इंसान, धंसता जाता है...
वहीं, एक पेड़ों से बना जंगल है
जिसकी छांह में
कुछ देर सुस्ता लेने भर से,
कई उलझनें सुलझ जाती है
और भीतर का धंसता इंसान
निकलता सा प्रतीत होता है....
- शालिनी
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