Sunday 22 December 2019

धसता सा इंसान

आधुनिक तकनीकियों से परिपूर्ण 
 कंक्रीट के बनाये इस जंगल में
झुलसते-झुलसते 
मन उलझता जाता है,
भीतर का इंसान, धंसता जाता है...

वहीं, एक पेड़ों से बना जंगल है
जिसकी छांह में 
कुछ देर सुस्ता लेने भर से,
कई उलझनें सुलझ जाती है
और भीतर का धंसता इंसान 
निकलता सा प्रतीत होता है....

- शालिनी 



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