बिगड़ती अर्थव्यवस्था में
जब नहीं मिलेगा रोजगार,
दिन में कमाने वाले मजदूर
शाम को खाली हाथ ही लौट जाएंगे,
जब नहींं जल पायेगा रात को
किसी गरीब के घर चूल्हा,
ग्लोबल वार्मिंग के प्रभाव से
जब पिघल जाएंगे ग्लेशियर,
प्रदूषण बढ़ते-बढ़ते जब
नहीं बचेगी साफ आबोहवा,
ना होगा पीने का पानी,
बंजर हो रहे होंगे खेत-खलिहान,
जब धरती पर नहींं रहेगा
इंसानियत वाला धर्म.....
धर्म का मतलब समझे बिना ही
चौकस हो जाने वाले भक्तों,
तुम्ही बताओ,
तब क्या;
तुम किसी भी धर्म की छतरी तले
आने वाली संतानों को प्रलय से बचा पाओगे??
- शालिनी
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