मैं कौन हूं?
ये प्रश्न बार बार
मेरे सामने आता है
कई बार खुद ब खुद
कई बार लाया जाता है
मैं कविता हूं
नहीं, मैं कहानी हूं
जिसका अंत होता है
मैं क्या हूं?
क्या मैं सचमुच
कुछ हूं?
क्या मैं जरूरी हूं
नहीं-नहीं
मैं तो यूँ ही हूं
जैसा होना होता है।
-शालिनी पाण्डेय
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