वक़्त के इंतजार में
दो राही
ताक रहे थे राह
सोच रहे थे
कब आएगी
राहें वो आसान
ठहरे रहे
आस लिए
पर ढल गयी
जीवन की सांझ
अब यूं ही
सबके लिए
थोड़े आती
राहें वो आसान।
-शालिनी पाण्डेय
शब्द मेरी भावनाओं के चोले में
वक़्त के इंतजार में
दो राही
ताक रहे थे राह
सोच रहे थे
कब आएगी
राहें वो आसान
ठहरे रहे
आस लिए
पर ढल गयी
जीवन की सांझ
अब यूं ही
सबके लिए
थोड़े आती
राहें वो आसान।
-शालिनी पाण्डेय
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