कही भीतर कुछ है
जो भरने की
कोशिश में लगा है
पर इसके बावजूद भी
खाली सा रह जाता है।
दिन की रोशनी में
लगता है पूरा हो रहा है
लेकिन रात फिर इसे
अधूरा कर जाती है
क्या ये तुम्हारे आने
से भरेगा?
या तब भी
खाली ही रहेगा?
- शालिनी पाण्डेय
राहुल सांकृत्यायन मानते थे कि घुमक्कड़ी मानव-मन की मुक्ति का साधन होने के साथ-साथ अपने क्षितिज विस्तार का भी साधन है। उन्होंने कहा भी था कि-...
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