कही भीतर कुछ है
जो भरने की
कोशिश में लगा है
पर इसके बावजूद भी
खाली सा रह जाता है।
दिन की रोशनी में
लगता है पूरा हो रहा है
लेकिन रात फिर इसे
अधूरा कर जाती है
क्या ये तुम्हारे आने
से भरेगा?
या तब भी
खाली ही रहेगा?
- शालिनी पाण्डेय
शब्द मेरी भावनाओं के चोले में
कही भीतर कुछ है
जो भरने की
कोशिश में लगा है
पर इसके बावजूद भी
खाली सा रह जाता है।
दिन की रोशनी में
लगता है पूरा हो रहा है
लेकिन रात फिर इसे
अधूरा कर जाती है
क्या ये तुम्हारे आने
से भरेगा?
या तब भी
खाली ही रहेगा?
- शालिनी पाण्डेय
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