Wednesday 28 November 2018

रिक्तता

कही भीतर कुछ है
जो भरने की
कोशिश में लगा है
पर इसके बावजूद भी
खाली सा रह जाता है।

दिन की रोशनी में
लगता है पूरा हो रहा है
लेकिन रात फिर इसे
अधूरा कर जाती है

क्या ये तुम्हारे आने
से भरेगा?
या तब भी
खाली ही रहेगा?

- शालिनी पाण्डेय

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