तुम जब मुझमें उतर आते हो,
आंखों को नम कर जाते हो...
खाली पड़े घर के कोनों पर,
अपने हँसी बिखेर जाते हो...
डायरी के कोरे पन्नों पर,
कहानी सी लिख जाते हो...
रुक सी गयी समय की सुइयों पर,
बेल जैसे फैल जाते हो...
कोरे बदन के कैनवास पर,
प्यार को उकेर जाते हो...
तुम जब मुझमें उतर आते हो,
रूह को संतृप्त कर जाते हो...
- शालिनी पाण्डेय
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