खाली रातों में
सन्नाटे के बीच
अंधेरे से घिरी
एक देह करवटे
बदल रही है
उसकी आंखों की
नींद गायब है
और दिल के दरवाजे पर
किसी दस्तक की इंतजारी है
- शालिनी पाण्डेय
राहुल सांकृत्यायन मानते थे कि घुमक्कड़ी मानव-मन की मुक्ति का साधन होने के साथ-साथ अपने क्षितिज विस्तार का भी साधन है। उन्होंने कहा भी था कि-...
No comments:
Post a Comment