आज फिर बैचैनी है भावों का सैलाब उमड़ रहा है दिल बहुत भारी है कुछ पी कर मानो भर गया है पतझड़ के पेड़ की तरह पक गए पल टूटकर गिर रहे है मुरझाई वल्लरियों जैसे कुछ हिस्से बेरंग हो रहे ह...
शब्द मेरी भावनाओं के चोले में
शब्द मेरी भावनाओं के चोले में