निभाओ दस्तूर तुम दुनिया का
निभाएंगे हम भी
डूबे रहो यादों के शहर में
भीग लेंगे हम भी
बंधे रहो क़ैद में परम्परों की
रह लेंगे हम भी
धरे रहो मौन रखे रहो चुप्पी
सी लेंगे होठों को हम भी
करते रहो इंतजार वस्ल का
देखेंगे राह हम भी
मत स्वीकारों जुड़ी संवेदनाओं को
झोली ना फैलाएंगे हम भी
दफ़्न कर दो यादों के सहर को
गिला ना करेंगे हम भी
कर दो कत्ल हसीन सिलसिलों का
आह ना करेंगे हम भी
चले जाओ छोड़कर इस दर को
हाथ ना पकड़ेंगे हम भी
बेशक जियो अरमानों का गला घोंट के
रोक लेंगे सांसे हम भी
निभाओ दस्तूर तुम दुनिया का
निभाएंगे हम भी ।।
-शालिनी पाण्डेय
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