Friday 9 June 2017

निभाओ दस्तूर

निभाओ दस्तूर तुम दुनिया का
निभाएंगे हम भी

डूबे रहो यादों के शहर में
भीग लेंगे हम भी

बंधे रहो क़ैद में परम्परों की
रह लेंगे हम भी

धरे रहो मौन रखे रहो चुप्पी
सी लेंगे होठों को हम भी

करते रहो इंतजार वस्ल का
देखेंगे राह हम भी

मत स्वीकारों जुड़ी संवेदनाओं को
झोली ना फैलाएंगे हम भी

दफ़्न कर दो यादों के सहर को
गिला ना करेंगे हम भी

कर दो कत्ल हसीन सिलसिलों का
आह ना करेंगे हम भी

चले जाओ छोड़कर इस दर को
हाथ ना पकड़ेंगे हम भी

बेशक जियो अरमानों का गला घोंट के
रोक लेंगे सांसे हम भी

निभाओ दस्तूर तुम दुनिया का
निभाएंगे हम भी ।।

-शालिनी पाण्डेय

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