Thursday 25 May 2017

सफर

तय कर रही हूं मैं सफर

हवा के साथ बहने का सफर
झोकों के साथ उड़ जाने का सफर
आंधी में गुम हो जाने का सफर

फुहारों में भीगने का सफर
तेज धारों सेे छुपने का सफर
मुसलदार बरसात में आशियाँ बचाने का सफर

रंगों में रंगने का सफर
बागों में खिलने का सफर
रेत पर फिसलने का सफर

धूप में तपने का सफर
छांव में सुस्ताने का सफर
लहरों को छूने का सफर

भीड़ से निकलने का सफर
प्यार को बांटने का सफर
दूरियां पाटने का सफर

खुद को छांटने का सफर
स्वयं को जांचने का सफर
मधु के प्यालों को भांपने का सफर

ये सफर अजीब है
इसमे मिलन है विषाद भी
नमकीन आंसू है मीठी मुस्कान भी
पर अब ये सिर्फ सफर नही
मेरा हबीब है।

-शालिनी पाण्डेय

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