तय कर रही हूं मैं सफर
हवा के साथ बहने का सफर
झोकों के साथ उड़ जाने का सफर
आंधी में गुम हो जाने का सफर
फुहारों में भीगने का सफर
तेज धारों सेे छुपने का सफर
मुसलदार बरसात में आशियाँ बचाने का सफर
रंगों में रंगने का सफर
बागों में खिलने का सफर
रेत पर फिसलने का सफर
धूप में तपने का सफर
छांव में सुस्ताने का सफर
लहरों को छूने का सफर
भीड़ से निकलने का सफर
प्यार को बांटने का सफर
दूरियां पाटने का सफर
खुद को छांटने का सफर
स्वयं को जांचने का सफर
मधु के प्यालों को भांपने का सफर
ये सफर अजीब है
इसमे मिलन है विषाद भी
नमकीन आंसू है मीठी मुस्कान भी
पर अब ये सिर्फ सफर नही
मेरा हबीब है।
-शालिनी पाण्डेय
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