Tuesday 23 May 2017

कैनवास वाले सपने की याद

आज भी तेरा जिक्र हुआ तो
चेहरे पर हल्की सी मुस्कान आई
पलक झपकते ही ख्याल आया कि
तुझे एक कैनवास पर उतार दूँ
और घर की हर दीवार पर सजा दूँ

एकटक जी भर कर देखती रहूँ
इस क़दर निहारती रहूँ कि
खो जाऊं तुझमें कही
भूल जाऊं कि मैं क्या हूं
समा जाऊं तुझमे इस कदर
कि ये फासले शून्य हो जाएं
सीने से चिपट जाऊं ऐसे
कि धड़कनों से मिल पाऊं
इतने करीब आ जाऊं
कि महसूस हो साँसों की गर्मी
लग जाऊं इस तरह गले
कि फिर कभी ना बिछड़ पाऊं

आंखे खुलते ही ख्याल टूटा
मैं स्तब्ध ताक रही थी लेकिन
घर की दीवार बिल्कुल सूनी थी
ये देख मैं थोड़ा घबरायी
पर फिर कैनवास वाले ख्वाब की याद
चेहरे पर हल्की सी मुस्कान ले आयी।

-शालिनी पाण्डेय

No comments:

Post a Comment

हिमालय की अछूती खूबसूरती: पंचाचूली बेस कैंप ट्रैक

राहुल सांकृत्यायन मानते थे कि घुमक्कड़ी मानव-मन की मुक्ति का साधन होने के साथ-साथ अपने क्षितिज विस्तार का भी साधन है। उन्होंने कहा भी था कि-...