अंधेरे में ख़्वाब बुनती हूं, विरह का संगीत सुनती हूं, यादों के टुकड़े परोसती हूं, दर्द के पलों को चुनती हूँ, अपनी रूह को बिछाती हूं तेरे अहसास को ओढ़ती हूं, तुझसे जुदा होने पर मैं ऐसे ही तुझे साकारती हूं। ~ शालिनी पाण्डेय
शब्द मेरी भावनाओं के चोले में