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Showing posts from June, 2019

अंधेरे में

अंधेरे में ख़्वाब बुनती हूं, विरह का संगीत सुनती हूं, यादों के टुकड़े परोसती हूं, दर्द के पलों को चुनती हूँ, अपनी रूह को बिछाती हूं तेरे अहसास को ओढ़ती हूं, तुझसे जुदा होने पर मैं ऐसे ही तुझे साकारती हूं। ~ शालिनी पाण्डेय

तब और आज

हम छोड़ आये निर्बाध बहती नदियां आकाश चूमते पहाड़ हरे भरे चीड़ और देवदार कर आये पलायन आँगन में बहती ठंडी बयार से, लकड़ी और पत्थर के घरों से , छत पर टहलते सफेद बादलों से, जमीन के गर्भ से निकले धारों से, मडुवे और कौणी वाले अनाज से, हिसालू, किलमोडा, काफल से, और  अब हम रहते है ईट के तपते भट्टों के भीतर ज़हरीले धुएं के बीच पीते है बिसलरी का पानी खाते है डोमिनोज़ का पिज़्ज़ा और बातें करते है पेड़ लगाने की, पर्यावरण को बचाने की। ~ शालिनी पाण्डेय

मैं चाहती हूं

मैं चाहती हूं कि तेरी डायरी हो जाऊं जिसपे तू अनकही बातें लिख पाए मैं चाहती हूं कि चाय का प्याला हो जाऊं जिसे हर रोज तू अपने लबों से लगाए मैं चाहती हूं कि तेरे बिस्तर की चादर ह...

तेरे होने ने

जब तू नहीं था तो जीवन रूखा था ना कविताएँ थी ना गीत थे ना सावन था ना रंग थे तेरे होने ने मुझे रूखे जीवन की छाती में बीज उगाने का हौसला दिया तेरे होने ने मुझे कविताओं के अर्थ दिय...

प्यार का पन्ना

जीवन का ये पन्ना जितना कोरा है उतने ही रंग भी लिए हुए है एक ओर विरह की खाई दूजी ओर मिलन का शिखर लिए हुए है प्रियतम के मिलने की खुशी के साथ खुद की बेनकाबी का डर भी लिए हुए है प्यार जीवन का वो पन्ना है जो खूबसूरत और खतरनाक साथ में है । ~ शालिनी पाण्डेय

बारिश

देखो आज सारा दिन टप-टप करती संगीत बजाती हुई बारिश गिरती रही और साथ में तुम्हारी यादों को घोल - घोल मेरे आँगन में जमा करती रही । ~ शालिनी पाण्डेय

जुड़ा हुआ

क्या तूने सोचा कभी कि ये तेरी और मेरी बातें कभी ख़त्म क्यों नहीं होती ? मुझे लगता है कि ये बातें भर रही होती है हमारे बीच की दूरियों को लफ़्ज़ों से और बना रही होती है एक पुल फासलो...

दूरियां

जब अंदाज़ा ना था करीबियों का तो ये दूरियां भी खलती ना थी लेकिन उस रोज से जब तू गले लगाकर बोसा देकर चला गया तो ये दूरियां खलने लगी। ~ शालिनी पाण्डेय

जोड़ते हुए

कभी मकान जोड़ते कभी दुकान जोड़ते कभी दहेज जोड़ते हुए, अनेक पिताओं की उम्र यूँ ही बीत जाती है मेहनत में शरीर तोड़ते हुए। ~ शालिनी पाण्डेय

पर तुम तो

हाँ, हाँ मुझे अब कोई डर नही हैं तुम्हें खोने का, खोया उसे जाता है जो हमसे पृथक हो, पर तुम तो मेरे भीतर की चेतन साँसों जैसे हो, तुम्हें तो उसी दिन खोना होगा जब मैं खुद को ही खो दूंग...

जीने का तरीका

अगर केवल यथार्थ में जीना ही जीने का सर्वोत्तम तरीका होता तो क्यूँ मौत के करीब आता हर व्यक्ति जीना चाहता है बचपन के किस्सों में आखिर बचपन तो जीवन का सबसे यथार्थवादी पड़ाव नह...

जीवन

निश्चय ही तुम टकराना चट्टानों से और काट लेना उन्हें अपने वेग से। बहा ले जाना इस वेग में अवसादों को और धीमे होकर किसी मोड़ पर छोड़ जाना। जो कोई भी साथ चले लिए उसे तुम, बढ़ते जाना, ब...

प्लेटफॉर्म

रेल के प्लेटफॉर्म पर जहाँ यात्रियों को लिए ट्रेन कुछ देर रुकती है इस प्लेटफॉर्म पर बहुत शोर होता है यात्रियों की बातों का शोर विक्रेता के चिल्लाने का शोर ट्रैन के हॉर्न क...

इंतजार

लंबे इंतजार के बाद आना, वो आना चाहे बरसात का हो या महबूब का बहुत ही सुखदाई होता है । ~ शालिनी पाण्डेय

प्यार

प्यार जब छू लेगा तुम्हारे अन्तर्मन को तो वो पवित्र कर देगा हर एक कोने को तब मन ही बन जायेगा मंदिर फिर ना गंगाजल लाने हरिद्वार जाना होगा ना ही ईश्वर दर्शन को देवालय में । ~ शाल...

गहन अनुभूति

प्यार की एक झलक को महसूस कर पाना प्यार बनकर तुम्हारा मेरे जीवन में आना मेरे जीवन की अब तक की सबसे गहन अनुभूति है। ~ शालिनी पाण्डेय

फिक्र

मालूम है मुझे कि फिक्र तुम्हें भी रहती है मेरे हाल की बस तुम्हें जताना नही आता। ~ शालिनी पाण्डेय

Irony of dreams

I sometime want to be perfect in this imperfect life. I sometime want to be complete in this incomplete life. I sometime want to be immortal in this mortal life. See it's all I have a series of  Irony of dreams for life. -~ Shalini Pandey

चले जाओ

तुम चले जाओ जहां भी तुम जाना चाहो मैं नहीं रोकूँगी तुम्हें। सोचती हूँ तुम्हें रोक कर भी क्या करूँगी, और जब मैं खुद ही रुकना नहीं चाहती तो तुम्हें किस हक़ से रोक लूँ ? ~ शालिनी पा...

मौन

मौन जो टूटता है भोर की किलकारियों से फिर लौट आता है सांझ के ढलते ही। ~ शालिनी पाण्डेय

यूँ भी

कई बार यूँ भी हुआ कि उम्र बीत जाती है यहाँ इंसान की क्षणिक भंगुर जीवन को जी पाने के प्रयास में। ~ शालिनी पाण्डेय

सदा

जब मैं नहीं रहूंगी तब भी तुम रहोगे सदा मेरी कविता के अल्फ़ाज़ों में मेरी कविता के जज्बातों में। ~ शालिनी पाण्डेय

भोर

भोर के वक़्त तुम्हारी याद रहती है मेरी अधखुली आँखों में जो तलाशती है तुझे मुझमें ही कहीं। ~ शालिनी पाण्डेय

अतीत का पन्ना

फटे-पुराने लिबास को बदल लेने पर अक़्सर इंसान को ग़लतफ़हमी हो जाती है, कि भद्दा सा दिखने वाला अतीत का पन्ना अब उसके जीवन में नहीं रहेगा । ~ शालिनी पाण्डेय

नौकरी

नौकरी देखो तो तुम्हारा कद कितना बड़ा हो गया है, तुम्हारी ख़ातिर हमने बिना आँसू बहाये अपनी नदियों, पहाड़ों और घरों से पलायन कर लिया । ~ शालिनी पाण्डेय

बातें

बातें भी कितनी अजीब होती हैं कभी ना होते हुए भी बन जाती हैं और कभी होते हुए भी नहीं समझी जाती हैं। ~ शालिनी पाण्डेय

आजकल की शिकायत

आजकल हर किसी को दूसरों से शिकायत है कि कोई उन्हें नहीं समझता उन्हें कोई ये बताये कि मुश्किल होता है सिर्फ चेहरा देख कर शख़्सियत का अंदाजा लगाना समझने और समझाने के लिए चेहरे...

अपना आशियाँ

गौरैया जैसे हम भी बुनेंगे अपना आशियाँ एक रोज़ किसी पहाड़ी पर देवदार के ऊंचे पेड़ पर बादलों के बीच और बातें किया करेंगे आसमा से ज़मी पे रहकर। ~ शालिनी पाण्डेय

तुम्हारी ओर

जब मैं चल रही होती हूं सड़क पर हवा को काटते हुए मुझे लगता है जैसे मैं तुम्हारी ओर ही आ रही हूं दूरियों को मिटाते हुए। ~ शालिनी पाण्डेय

इस जीवन में

बिखरे से इस जीवन में प्यार मुझे समेटे हुए है मेरे जिस्म के भीतर मेरी रूह के अंदर। - शालिनी पाण्डेय

गहरा

तुम्हारे पर्वत हो जाने पर मेरा घाटी हो जाना स्वाभाविक है, क्योंकि तुम्हें ऊंचा उठाने के लिए मेरा गहरा जाना भी तो जरूरी है। - शालिनी पाण्डेय

जीवन की धूप

जीवन की धूप में जलकर मन उजाड़ सा हो गया है हे पर्वत, तुम मुझे अपनी छांव में ले लो और मेरे अंतर्मन को पुनः हरा कर दो। - शालिनी पाण्डेय

वक़्त की चाल

वक़्त की चाल कुछ टेड़ी सी होती है, जैसे ही कदम मिलाने की कोशिश करो, ये तुम्हें उलझाकर फ़िर आगे निकल जाती है। - शालिनी पाण्डेय

जब कभी

माना धूप जैसे मैं कभी उड़ा ले जाती हूँ तुम्हारे रंगों को लेक़िन फ़िर मैं आती भी तो हूँ बसंत बन उन रंगों को नया कर तुम्हें लौटाने। ~ शालिनी पाण्डेय

हिमालय की घाटी

हिमालय की घाटी तुम माँ जैसे फिर मुझे अपने गर्भ में रख लो और नौ माह बाद अपनी तलहटी में ही किसी नदी के रूप में पुनर्जन्म दे दो । - शालिनी पाण्डेय