Wednesday 1 April 2020

छुट्टी वाली सुबह

हर छुट्टी वाली सुबह
तुम निकल जाते हो
पहाड़ों की ओर
किसी खोज में,

हर मोड़ पर रुक कर
देखते हो कि
शायद कहीं आज वो
तुम्हारा इंतज़ार कर रही हो

बनाते हो पुल
नदी के उस पार रह
रही प्रेमिका के लिए,
पत्थर पर बैठकर
दिन भर 
तलाशते हो
सम्भावनाओं को

और फिर थककर
शाम को लौट आते हो
कुछ नई तस्वीरों,
नई कविताओं के साथ।

- शालिनी पाण्डेय 



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