Saturday 25 April 2020

कोरा पन्ना

मेरे पास
एक कोरा पन्ना है
जिसे मैं हर रोज
कुछ रंग देती हूँ

कभी खींच देती हूँ चित्र
कभी लिख देती हूँ कविता
कभी बना देती हूँ नदी
और कभी 
इसे मोड़कर इसके बीच में 
रख देती हूँ सूखा एक पत्ता

डूबते सूरज की उदासी, 
मिट्टी की सुगंध,
चिड़ियों के गीत से भी
मैं रंगती हूँ इसे ।

कई बार रात-रात भर
जागकर रंगती हूं इसे
मेरे ऊपर गिर रहे
पुरानी यादों के टुकड़ों से।

पर इतना रंगने पर भी
हमेशा आधी-अधूरी सी 
तस्वीर ही बन पाती है

क्या जिस दिन 
पूरी तस्वीर बनेगी,
उस दिन पूरा हो जाएगा जीवन??

- शालिनी पाण्डेय

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