ये जो
तेरे और मेरे
बीच के फासले है,
उन पर मैं
रोप दूंगी देवदार,
बसा लूंगी, यादों का पहाड़।
- शालिनी पाण्डेय
तेरे और मेरे
बीच के फासले है,
उन पर मैं
रोप दूंगी देवदार,
सभी दुःखोंं को इकट्ठा कर
बना दूंगी, एक नदी
और विचरने के लिएबसा लूंगी, यादों का पहाड़।
- शालिनी पाण्डेय
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