गहरे दर्द में भी
तुम कुछ नहीं कहते,
जैसे छिपा लेती हैं
धरती अपने अंदर
उजड़े पहाड़ों और
जंगलों की वेदना को....
- शालिनी पाण्डेय
तुम कुछ नहीं कहते,
बस, उसे छुपा लेते हो
अपने भीतर की तहों में....
अपने भीतर की तहों में....
जैसे छिपा लेती हैं
धरती अपने अंदर
उजड़े पहाड़ों और
जंगलों की वेदना को....
- शालिनी पाण्डेय
No comments:
Post a Comment