मौजूद रहते है
एक साथ कई किरदार,
किरदार जिन्हें वो
अपने आस-पास से
अनायास ही बटोर
लेता है...
किरदार जिनसे वो
तन्हाई में बातें करता है,
जो रातों की
नींद उड़ा ले जाते है..
किरदार, जो उसके साथ
भीड़ का हिस्सा बनते है..
कुछ साथ में खाते,
साथ में मुस्कुराते भी है..
पर इनमें से कुछ किरदार
तो अभिव्यक्ति पाकर
जवां हो जाते है
और कुछ
शब्दों के आभाव में
दम तोड़ देते है।
- शालिनी पाण्डेय
No comments:
Post a Comment