Friday 24 April 2020

लिखने वाले के भीतर

लिखने वाले के भीतर
मौजूद रहते है
एक साथ कई किरदार,
किरदार जिन्हें वो
अपने आस-पास से
अनायास ही बटोर 
लेता है...

किरदार जिनसे वो
तन्हाई में बातें करता है,
जो रातों की
नींद उड़ा ले जाते है..

किरदार, जो उसके साथ
भीड़ का हिस्सा बनते है..
कुछ साथ में खाते,
साथ में मुस्कुराते भी है..

पर इनमें से कुछ किरदार 
तो अभिव्यक्ति पाकर
जवां हो जाते है
और कुछ 
शब्दों के आभाव में
दम तोड़ देते है।

- शालिनी पाण्डेय 

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