लौट कर आ जाते हैं
अतीत के चेहरे
पुरानी तस्वीरें लिए...
कभी जब वो झुंड में
एक साथ चले आते है
मधुमक्खियों जैसे,
तो बना डालते है
यादों का छत्ता,
और उसे भर देते है
प्यार के शहद से,
वो पराग के साथ
चुन लाते है,
सभी सपने
जो हम और तुम
भूल रहे थे दिनचर्या में,
और फिर से बुन कर
सच कर देते है
वही मीठा लम्हा..
हाँ, हाँ,
उतना ही मीठा,
उतना ही सच्चा,
जितने की तुम
और तुम्हारा प्रेम।
- शालिनी पाण्डेय
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