वो जो महसूस होता है
हथेलियों को छूने पर,
वो जो भर आता है, आंखों में
और फिर चमक उठता है, कपाल पर
वो प्रेम है...
वो जो उमड़ता है, आलिंगन में
और टीस बन जाता है, जुदाई पर
वो जो उतरता है, रोम-रोम में
और भिगो देता है, सभी कुछ
वो प्रेम है...
उसे शब्दों में बाँँधा नहीं
जा सकता,
ना ही शब्दों से
तोला जा सकता है,
उसे तो बस जिया जा सकता है
मौन के पलों में
मेरे द्वारा, तुम्हारे द्वारा।
- शालिनी पाण्डेय
Comments
Post a Comment