आज रात
छत पर जाते ही
छत पर जाते ही
फूट-फूट कर
रोने का मन किया,
रोने का मन किया,
चांद की चमक के पीछे छुपे
घावों को देख लेने भर से।
- शालिनी पाण्डेय
राहुल सांकृत्यायन मानते थे कि घुमक्कड़ी मानव-मन की मुक्ति का साधन होने के साथ-साथ अपने क्षितिज विस्तार का भी साधन है। उन्होंने कहा भी था कि-...
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