Wednesday 29 April 2020

कलाकार की मृत्य

एक कलाकार अपने अभिनय से दर्शकों को हँसाता, रुलाता, गुदगुदाता तो है ही। लेकिन इसके साथ-साथ वो अपने अभिनय से झकझोरता है, आपके भीतर मरती जा रही इंसानी संवेदनाओं को। वो चीखने पर मजबूर करता है, आपके भीतर ठंडी हो कर, जम चुकी, दबी आवाज़ों को। 

उसके अभिनय से आप अपने भीतर के उन अँधेरे पहलुओं पर झांकने की हिम्मत जुटा पाते है, जिन्हें सूरज की रोशनी भी आपको नहीं दिखा पाती। अच्छा कलाकार जीवित रखता है आपके भीतर की बगावत को, आपके आत्म- सम्मान को। आपके भीतर मोहब्बत की बेल को पनपाने के लिए वो खाद, हवा, पानी जैसा काम करता है। अपने अभिनय से वो सभी धर्मों, सरहदों को छोटा साबित कर, आपको एक तर्कसंगत और संवेदनशील मनुष्य बनने हेतु प्रेरित करता है।

हाँ, मृत्यु नियति है, हर उसकी जिसके भीतर जीवन है। ये हम सभी जानते है कि "जिसका जन्म हुआ है, उसकी मृत्यु भी एक दिन हो जानी है"। भले ही आप जैसे और हम जैसे असंख्य लोगों की मृत्यु के कोई मायने नहीं होते। 
लेकिन एक अच्छे कलाकार की मृत्यु के मायने होते है।
एक कलाकार की मृत्यु सिर्फ उसकी अकेले की मृत्यु नहीं होती, बल्कि उससे जुड़े असंख्य दर्शकों के जज्बातों, सपनों, उम्मीदों की भी मृत्य होती है। 

 - शालिनी पाण्डेय 

"इरफान खान की मृत्य पर एक दर्शक की श्रद्धांजलि"

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