Thursday 16 May 2019

वो आया

वो आया
उस रोज
मेरे दरवाज़े तक,
वो ठहरा
उस रोज
मेरे आशियाँ पर,
वो अलग बैठा रहा
जब तक घुल ना गया
मेरी रूह से
फिर उसके
लब हिलते रहे
खामोश होने तक ।

- शालिनी पाण्डेय

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