वो आया
उस रोज
मेरे दरवाज़े तक,
वो ठहरा
उस रोज
मेरे आशियाँ पर,
वो अलग बैठा रहा
जब तक घुल ना गया
मेरी रूह से
फिर उसके
लब हिलते रहे
खामोश होने तक ।
- शालिनी पाण्डेय
राहुल सांकृत्यायन मानते थे कि घुमक्कड़ी मानव-मन की मुक्ति का साधन होने के साथ-साथ अपने क्षितिज विस्तार का भी साधन है। उन्होंने कहा भी था कि-...
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