धुंधला सा चांद
आया है आज
मेरी खिड़की पर,
इसका चेहरा
ठीक वैसा ही
दिखता है
जैसे तुम्हारा
चेहरा था
उस रोज
जब तुम
पहली बार
मिलने आये थे
बीमारी का
पीलापन लिए।
- शालिनी पाण्डेय
राहुल सांकृत्यायन मानते थे कि घुमक्कड़ी मानव-मन की मुक्ति का साधन होने के साथ-साथ अपने क्षितिज विस्तार का भी साधन है। उन्होंने कहा भी था कि-...
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