निकल पड़ी हूं आज मैं
अपने यादों के शहर की ओर
देखो मैंने बढ़ा दिया है
एक कदम तुम्हारी ओर
आशा है अब तो तुम भी चलोगे
कुछ कदम मेरी ओर ।
- शालिनी पाण्डेय
राहुल सांकृत्यायन मानते थे कि घुमक्कड़ी मानव-मन की मुक्ति का साधन होने के साथ-साथ अपने क्षितिज विस्तार का भी साधन है। उन्होंने कहा भी था कि-...
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