तुम जब जागोगे
तो शायद
मैं तुम्हारे शहर से दूर
निकल आयी होंगी
तुम अधखुली आंखों के
ख़्वाब में मुझे देखना
और मैं यादों में रखी
तुम्हारी सूरत निहार लूंगी।
- शालिनी पाण्डेय
राहुल सांकृत्यायन मानते थे कि घुमक्कड़ी मानव-मन की मुक्ति का साधन होने के साथ-साथ अपने क्षितिज विस्तार का भी साधन है। उन्होंने कहा भी था कि-...
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