तुम्हारी आंखें
रह रह कर
प्यार का
इज़हार करती है
सच कहूं तो
इन आँखों में
केवल प्यार नहीं है
प्यार मानो कुछ
देर तक चमकता है
तुम्हारी आँखों में
और फिर तुम
उसको लबों तक
लाये बिना ही
अपनी नजरें
नीची कर
आसूं के घूट जैसे
पी जाते हो।
उसके बाद फिर
तुम्हारी आँखों में
शेष रह जाती है
एक गहरी वेदना
जो मानो
कई वर्षों से
तुम्हारे भीतर
पल रही हो ।
- शालिनी पाण्डेय
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